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विटामिन डी की कमी के लक्षण, कारण, परीक्षण

विटामिन डी की कमी के लक्षण, कारण, परीक्षण

Max Lab

Sep 25, 2022

विटामिन डी को "सनशाइन विटामिन" के रूप में जाना जाता है क्योंकि शरीर इसका उत्पादन तब करता है, जब किसी व्यक्ति की स्किन सन लाइट के संपर्क में आती है। चूंकि विटामिन-डी हड्डियों को मजबूत रखने में मदद करता है, इसकी कमी से हड्डियां कमजोर हो सकती है, जिसके चलते दर्द और फ्रैक्चर हो सकते हैं। हालांकि विटामिन डी की कमी एक सामान्य मेडिकल कंडीशन है, अच्छी बात यह है कि इसकी पहचान एक साधारण ब्लड टेस्ट द्वारा की जा सकती है और विटामिन डी की खुराक के साथ आसानी से इसका इलाज किया जा सकता है।

विटामिन डी की कमी के लक्षण -

विटामिन डी की कमी वाले अधिकांश लोग बिना लक्षण वाले (असिम्प्टोमैटिक) पाए जाते हैं। इसके लक्षण केवल गंभीर और लंबे समय तक कमी में प्रकट होते हैं।

विटामिन डी का प्राथमिक कार्य बोन डेंसिटी बनाने एवं मेंटेन करने के साथ आंतों से फास्फोरस और कैल्शियम को अवशोषित करना है। विटामिन डी की कमी से यह प्रक्रिया ठीक काम नहीं करती है। विटामिन डी की ज्यादा कमी के चलते हड्डियां (वयस्कों में अस्थिमृदुता और बच्चों में रिकेट्स) नरम पड़ सकती है।

कमजोर बोन या रिकेट्स से पीड़ित व्यक्ति को हड्डियों के साथ-साथ मांसपेशियों में दर्द, बेचैनी, कमजोरी का सामना करना पड़ सकता है। ऑस्टियोमलेशिया बोन फ्रैक्चर, गिरने और चलने में परेशानी की संभावना को भी बढ़ाता है।

विटामिन डी की कमी बोन व मसल्स के लक्षणों के अलावा, थकान और डिप्रेशन से भी जुड़ी हुई है।

विटामिन डी की कमी के कारण -

चूंकि विटामिन डी के निर्माण के लिए सूर्य की रोशनी की आवश्यकता होती है, ऐसे में विटामिन डी की कमी आमतौर पर उनमें पायी जाती है जो काफी सारा समय इनडोर स्पेस में बताते हैं (उदाहरण के लिए घर में रहने वाले बुजुर्ग)।

विटामिन डी की कमी के जोखिम वाले अन्य समूहों में शामिल हैं:-

  • जो लोग पर्याप्त विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ नहीं खाते हैं (उदाहरण के लिए- केंड टूना और पैकेट बंद गाय का दूध)
  • उन बीमारियों से पीड़ित, जो आंतों में विटामिन डी के अवशोषण पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं (जैसे क्रोहन रोग)
  • रोग से पीड़ित व्यक्ति, जो विटामिन डी को उसकी सक्रिय अवस्था में बदलने में बाधा डालते हैं (जैसे क्रोनिक किडनी रोग या लीवर संबंधी रोग)
  • जो दवाएं लेते हैं और वे दवाएं विटामिन डी कम करती हों।

विटामिन डी की कमी के लिए टेस्ट -

विटामिन डी की कमी एक बहुत ही सामान्य स्थिति है। विटामिन डी की कमी लगभग 30% से 50% आबादी को प्रभावित करती है। ऐसे में सवाल उठता है कि किसी को कैसे पता चलेगा कि उसमें विटामिन डी की कमी है? इस प्रश्न का उत्तर आसान है। यदि किसी व्यक्ति में उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण है, तो उसे तुरंत विटामिन डी का टेस्ट करवाना चाहिए। विटामिन डी टेस्ट और विटामिन D3 टेस्ट के माध्यम से स्तरों को निर्धारित करने के लिए ब्लड टेस्ट करवाना यह निर्धारित करने का सबसे अच्छा तरीका है कि किसका विटामिन लेवल किस लेवल का है।

ब्लड में विटामिन डी दो रूपों में मौजूद होता है- 25-हाइड्रॉक्सिल डी [25(OH) D] और [1, 25 (OH) (2) D] पहला- 25-हाइड्रॉक्सिल डी, ब्लड में पाए जाने वाले हार्मोन का सबसे सामान्य रूप है और हड्डियों के स्वास्थ्य और विकास के लिए आवश्यक है। इसकी अनुपस्थिति या कमी से बोन क्रेक होने का खतरा हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप रिकेट्स जैसे रोग हो जाते हैं। इसके अलावा, यह कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम के अवशोषण को नियंत्रित करता है।

विटामिन D3 टेस्ट शरीर में विटामिन डी की मात्रा निर्धारित करता है। शरीर में विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करने के लिए विटामिन डी टेस्ट और विटामिन D3 टेस्ट कराना जरूरी है। यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि विटामिन डी और विटामिन D3 टेस्ट से पहले भूखे पेट रहना आवश्यक नहीं है।

विटामिन डी की कमी का इलाज -

विटामिन डी की कमी का उपचार कई कारकों द्वारा निर्धारित किया जाता है, जिसमें विटामिन की कमी की गंभीरता और इंटरनल चिकित्सा स्थितियों की उपस्थिति शामिल है।

जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, विटामिन डी की कमी को विटामिन डी की खुराक लेने से ठीक किया जा सकता है।\

विटामिन डी की खुराक -

विटामिन डी दो प्रकार का होता है:- विटामिन D2 (एर्गोकैल्सीफेरोल) और विटामिन D3 (कोलेकैल्सीफेरोल), जिसमें बाद वाला सबसे आम है। ध्यान रखें कि उन लोगों के इलाज के लिए उच्च खुराक की आवश्यकता होगी जिनकी कुछ मेडिकल कंडीशंस हैं, जो आंतों में विटामिन डी अवशोषण को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं। साथ ही साथ, जो दवाएं लेते हैं और वें मेटाबॉलिज्म को खराब करती हैं।

विटामिन डी की कमी में क्या खाना चाहिए-

विटामिन डी युक्त आहार खाने से विटामिन डी की कमी के उपचार में मदद मिल सकती है। अपने आहार में नट्स, अनाज, कॉड लिवर ऑयल, फैटी फिश, पनीर, अंडे आदि जैसे खाद्य पद्दार्थों को शामिल करें। धूप का सेवन करें 

 

अतिरिक्त सुझाव : अगर विटामिन डी का स्तर शरीर में बहुत ही कम है तब ऊपर से, विटामिन डी की प्रति पूर्ति के लिए सप्लीमेंट (दवा) लेना पड सकता है | डॉक्टर के सलाह से वसा युक्त भोजन या खाद्य पदार्थ के साथ विटामिन के शैसे अथवा टेबलेट लेनी चाहिए | 

विटामिन डी की कमी के लिए उपचार हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक है और किसी के शरीर में अन्य सिस्टम और इम्यून सिस्टम में सुधार कर सकता है। हालांकि, बड़े बदलाव करने से पहले यह सलाह दी जाती है कि आप अपने लिए बेस्ट ट्रीटमेंट प्लान निर्धारित करने के लिए अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर से परामर्श लें।

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Frequently Asked Questions (FAQ's)

शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर, निंम्न लिखित  चीज़ों से बचना चाहिए: 
१. छोले, राजमा और पेट में वादी (गैस) करने वाले पदार्थ 
२. ठंडा भोजन
३. आइसक्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक तथा इनके समान ठंडी चीज़ें 
४. खट्टे खाद्य पदार्थ जैसे अचार, चटनी
५. फोलाइट और ऑक्सालेट से भरपूर खाद्य पदार्थों से बचें 

 विटामिन डी की गंभीर कमी वाले बच्चों की हड्डियाँ नरम हो सकती हैं। उनके पैर मुड़े हुए दिख सकते हैं। वे हड्डियों में दर्द की शिकायत भी कर सकते हैं\ बच्चों की डाइट में विटामिन-डी से भरपूर फूड को शामिल करें। बच्चों को धूप में थोड़ी देर ले जाएं, और डॉक्टर की सलाह से विटामिन डी सप्लीमेंट (सिरप ,शैसे ,टेबलेट्स आदि ) दें. 

विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ:
मछली
अंडा
दूध और डेयरी उत्पाद
मशरूम
फोर्टिफाइड फूड
संतरा

शाकाहारियों के लिए विटामिन डी के स्त्रोत सीमित ही है इसलिए आजकल विटामिन डी को खाद्य पदार्थों जैसे दूध में अलग से मिलाकर (फोर्टिफाइड) दिया जाता है | 
 

महिलाओं में Vitamin-D की कमी होने पर नजर आते हैं ये लक्षण-  थकान, हड्डियों में दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी, बालों का झड़ना, मूड में बदलाव और बार-बार बीमार होना
विटामिन डी की कमी के मुख्य लक्षण:

  1. बिना किसी खास कारण के थकान महसूस होना, काम करने की इच्छा न होना. 
  2. बहुत बार हड्डियों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द और अकड़न विटामिन डी की कमी से जुड़ी हो सकती है. 
  3. अचानक बालों का झड़ना या पतला होना. 
  4. अवसाद, चिंता, चिड़चिड़ापन या उदासी की भावना, मूड स्विंग 
  5. सर्दी, फ्लू या अन्य बीमारियों से जल्दी बीमार होना. 
  6. नींद न आना या नींद में खलल. 
  7. भूख न लगना या कम लगना 
  8. त्वचा का पीला पड़ना
  9. मासिक धर्म में अनियमितता

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