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विडाल टेस्ट – उद्देश्य, टेस्ट परिणाम और सामान्य रेंज

विडाल टेस्ट – उद्देश्य, टेस्ट परिणाम और सामान्य रेंज

By - Max Lab

Apr 14, 2025 | 13 min read

Table of Contents

    टाइफाइड एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो पूरे शरीर में फैल सकता है और कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। यह साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, जो जानवरों और इंसानों की आंतों में मौजूद रहता है और मल एवं मूत्र के माध्यम से फैलता है।

    टाइफाइड बुखार के शुरुआती लक्षण:

    • शरीर में कमजोरी
    • तेज़ बुखार
    • डायरिया या कब्ज
    • वजन में गिरावट
    • शरीर पर लाल चकत्ते
    • पेट में दर्द

    यदि समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा जटिलताओं को जन्म दे सकता है। अधिकतर संक्रमण गंदगी और अस्वच्छ आदतों के कारण फैलता है। टाइफाइड मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने या दूषित पानी के सेवन से फैलता है।

    टाइफाइड का निदान कैसे किया जाता है?

    सटीक निदान के लिए ब्लड, मल या मूत्र के सैंपल का विश्लेषण किया जाता है। शरीर में टाइफाइड संक्रमण का पता लगाने के लिए कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं, जैसे बोन मैरो टेस्ट और स्टूल कल्चर टेस्ट, जिसमें मल के नमूने से बैक्टीरिया की उपस्थिति की पुष्टि की जाती है।

    विडाल टेस्ट क्या है?

    विडाल टेस्ट एक सरल और त्वरित ब्लड टेस्ट है, जिसका उपयोग टाइफाइड बुखार की पुष्टि या उसे नकारने के लिए किया जाता है, भले ही लक्षण हल्के हों। आमतौर पर, संक्रमण के संपर्क में आने के 6 से 30 दिनों के भीतर टाइफाइड के शुरुआती लक्षण प्रकट होते हैं। कई कारणों से डॉक्टर विडाल टेस्ट की सलाह देते हैं।

    विडाल टेस्ट कैसे काम करता है?

    बायोलॉजिकल दृष्टि से, यह टेस्ट फ्लैजेलर (H) और सोमेटिक (O) एंटीजन के खिलाफ एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए किया जाता है, जो टाइफाइड संक्रमण का कारण बनते हैं। संक्रमण होने पर, ये एंटीजन शरीर को विशेष एंटीबॉडी उत्पन्न करने के लिए उत्तेजित करते हैं। विडाल टेस्ट में इन एंटीजन और ब्लड सैंपल में मौजूद एंटीबॉडी के बीच की प्रतिक्रिया का विश्लेषण किया जाता है।

    किन लोगों को विडाल टेस्ट कराना चाहिए?

    यदि किसी व्यक्ति में टाइफाइड के लक्षण दिख रहे हैं, तो डॉक्टर बेहतर निदान के लिए विडाल टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं:

    • तेज़ बुखार, सिरदर्द और बदन दर्द
    • पेट दर्द, कब्ज या डायरिया
    • शरीर पर लाल चकत्ते
    • कमजोरी और भूख न लगना
    • बेचैनी, भ्रम और गंभीर मामलों में मतिभ्रम

    विडाल टेस्ट कैसे किया जाता है?

    इस टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती और ना ही उपवास की जरूरत होती है।

    • एक पतली सुई के माध्यम से बाजू की नस से ब्लड का सैंपल लिया जाता है।
    • इसके बाद इसे प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जाता है।

    विडाल टेस्ट के प्रकार:

    1. गुणात्मक (Qualitative) विधि:

    • बिना पतला किए गए ब्लड सीरम की एक बूंद को स्लाइड पर रखा जाता है।
    • इसके बाद O, H, AH और BH एंटीजन की एक-एक बूंद डाली जाती है।
    • मिश्रण को एक अलग स्टिक से मिलाकर एक मिनट तक हिलाया जाता है।
    • यदि कोई एग्लूटिनेशन (गठन) नहीं होता, तो टेस्ट नेगेटिव माना जाता है।

    2. मात्रात्मक (Quantitative) विधि:

    • यदि गुणात्मक टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो इसे मात्रात्मक टेस्ट द्वारा पुष्टि की जाती है।
    • इसमें ब्लड सैंपल को पॉजिटिव एंटीजन के साथ मिलाकर ट्यूब में जांचा जाता है।
    • स्लाइड विडाल टेस्ट अधिक संवेदनशील होता है, लेकिन इसकी विशेषता कम होती है। इसलिए, पॉजिटिव रिजल्ट आने पर ट्यूब विडाल टेस्ट से इसकी पुष्टि की जाती है।

    विडाल टेस्ट के परिणाम और रेंज को समझना

    विडाल टेस्ट के परिणाम को सटीक रूप से समझने के लिए टिटर वैल्यू का विश्लेषण किया जाता है। सही निदान के लिए 1:20, 1:40, 1:60, 1:80, 1:160 और 1:200 टिटर वैल्यू को ध्यान में रखा जाता है।

    • नेगेटिव रिजल्ट: जब O और H एंटीजन की वैल्यू 1:160 से कम होती है, तो इसे सामान्य (नेगेटिव) माना जाता है।
    • पॉजिटिव रिजल्ट: यदि O और H एंटीजन की टिटर वैल्यू 1:60 से 1:320 के बीच होती है, तो इसे पॉजिटिव माना जाता है।

    टाइफाइड का सही समय पर इलाज ज़रूरी है

    टाइफाइड आज भी एक गंभीर समस्या है। खराब स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल की कमी के कारण यह रोग विकसित और विकासशील देशों दोनों में तेजी से फैल रहा है।

    लेकिन, अगर इसे समय पर पहचाना जाए और सही आहार और नियमित दवाओं के माध्यम से रोगी की देखभाल की जाए, तो इस बीमारी को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

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