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हाई ट्राइग्लिसराइड्स: लक्षण, जोखिम, स्तर और इलाज

हाई ट्राइग्लिसराइड्स: लक्षण, जोखिम, स्तर और इलाज

Max Lab

Aug 05, 2025

ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides in hindi), जिन्हें लिपिड्स भी कहा जाता है, एक प्रकार की फैट होती है जो ब्लड में पाई जाती है। ये हमारे शरीर में सबसे सामान्य प्रकार की वसा होती है। ये मुख्य रूप से बटर, तेल और फैट युक्त खाद्य पदार्थों से आती हैं। इसके अलावा, शरीर में बची हुई अतिरिक्त कैलोरी भी फैट के रूप में जमा हो जाती हैं और ट्राइग्लिसराइड्स में बदल जाती हैं। जब शरीर को ऊर्जा की जरूरत होती है, तो ये ट्राइग्लिसराइड्स रिलीज़ होते हैं। हालांकि, ब्लड में अत्यधिक ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकता है।

हाई ट्राइग्लिसराइड्स के कारण और रिस्क फैक्टर्स

ब्लड में ट्राइग्लिसराइड्स का बढ़ा हुआ स्तर कई कारणों से हो सकता है:

  • मोटापा

  • ज्यादा फैट और अनहेल्दी डाइट

  • आनुवंशिक कारण

  • डायबिटीज़ का कंट्रोल में न होना

  • किडनी की बीमारी

  • थायरॉइड का कम एक्टिव होना (हाइपोथायरॉइडिज्म)

  • कुछ दवाएं जैसे स्टेरॉइड्स, बर्थ कंट्रोल पिल्स

  • अत्यधिक शराब का सेवन

हाई ट्राइग्लिसराइड्स के लक्षण

अधिकतर मामलों में हाई ट्राइग्लिसराइड्स के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, इसलिए ब्लड टेस्ट कराना बेहद ज़रूरी है। लेकिन अगर ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बहुत ज़्यादा हो जाए, तो कुछ लक्षण दिख सकते हैं:

1. पैंक्रियाटाइटिस

जब ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो इससे एक गंभीर स्थिति “एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस” हो सकती है। इसके लक्षण हैं:

  • पेट के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द (जो पीठ तक जा सकता है)

  • फीवर

  • मितली और उल्टी

  • तेज़ हार्टबीट

  • पेट में सूजन या टेंडरनेस

2. ज़ैंथोमाज (Xanthomas)

जिन लोगों में आनुवांशिक लिपिड डिसऑर्डर होता है, उनमें त्वचा के नीचे पीले-लाल रंग की छोटी-छोटी गांठें (xanthomas) बन सकती हैं। ये आमतौर पर कोहनी, घुटनों, हाथ-पैर, या नितंबों पर पाई जाती हैं।

3. रेटिना वेसल्स का रंग बदलना (Lipemia Retinalis)

जब ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर 1000 mg/dL से अधिक हो जाता है, तो आंखों की रक्त वाहिकाएं क्रीमी सफेद रंग की दिख सकती हैं। इसे लाइपीमिया रेटिनालिस कहा जाता है।

4. न्यूरोलॉजिकल लक्षण

कुछ मामलों में व्यक्ति को चिड़चिड़ापन या अन्य न्यूरोलॉजिकल बदलाव हो सकते हैं।

ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर (Levels)

  • नॉर्मल लेवल: 150 mg/dL से कम

  • मॉडरेट हाइपरट्राइग्लिसराइडेमिया: 150–499 mg/dL

  • सीवियर हाइपरट्राइग्लिसराइडेमिया: 500 mg/dL से अधिक

  • वेरी सीवियर हाइपरट्राइग्लिसराइडेमिया: 880 mg/dL से अधिक

लिपिड प्रोफाइल ब्लड टेस्ट के जरिए ट्राइग्लिसराइड्स के साथ-साथ टोटल कोलेस्ट्रॉल, HDL (अच्छा कोलेस्ट्रॉल), और LDL (खराब कोलेस्ट्रॉल) की भी जांच की जाती है। टेस्ट से पहले आमतौर पर 8–12 घंटे का उपवास (फास्टिंग) जरूरी होता है।

हाई ट्राइग्लिसराइड्स का इलाज

उपचार का उद्देश्य दिल की सेहत को बनाए रखना और पैंक्रियाटाइटिस का खतरा कम करना होता है।

1. लाइफस्टाइल में बदलाव

  • डाइट सुधारें: कम कार्बोहाइड्रेट लें, ज्यादा फाइबर लें

  • फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं: रेगुलर एक्सरसाइज से फैट बर्न होता है

  • वजन नियंत्रित रखें

  • शराब से परहेज़ करें

2. दवाइयां (अगर जरूरी हों)

  • स्टैटिन्स (Statins): ये दवाएं कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करती हैं

  • फाइब्रेट्स (Fibrates): ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने और HDL बढ़ाने में मदद करती हैं

  • फिश ऑयल (Fish Oil): इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड हार्ट डिजीज से बचाव करते हैं

  • नियासिन (Niacin): जिसे विटामिन B3 भी कहते हैं, कुछ मामलों में ट्राइग्लिसराइड्स को काफी हद तक कम करता है

3. सर्जिकल विकल्प (सीवियर मामलों में)

बहुत ज्यादा TG लेवल होने पर कुछ केसों में हार्ट सर्जरी या मेडिकल डिवाइसेज़ की जरूरत पड़ सकती है।

रेगुलर टेस्टिंग क्यों ज़रूरी है?

हाई ट्राइग्लिसराइड्स बिना लक्षणों के भी हो सकते हैं। इसलिए रेगुलर ब्लड टेस्ट से इसकी जल्दी पहचान कर पाना जरूरी है ताकि समय रहते लाइफस्टाइल में सुधार और ट्रीटमेंट शुरू किया जा सके।

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Frequently Asked Questions (FAQ's)

फाइबर युक्त डाइट लें, एक्सरसाइज़ करें, वजन घटाएं और शराब से बचें।

मीठा, तला हुआ खाना, प्रोसेस्ड फूड, और शराब से परहेज़ करें।

डाइट कंट्रोल, दवाइयां (जैसे स्टैटिन्स या फाइब्रेट्स) और फिजिकल एक्टिविटी से तेजी से कमी लाई जा सकती है।

सीधे नहीं, लेकिन नींबू पानी वजन कम करने में मदद करता है जो ट्राइग्लिसराइड्स घटाने में सहायक है।

कुछ मामलों में हां, लेकिन इसे डॉक्टर की सलाह से ही अपनाएं।

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