थायराइड हमारे शरीर की एक महत्वपूर्ण ग्रंथि है, जो गले के सामने वाले हिस्से में पाई जाती है। यह तितली के आकार की होती है और गले के ठीक नीचे, ट्रेकिआ के दोनों ओर होती है। थायराइड ग्रंथि थायरॉक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) नामक हार्मोन का स्राव करती है। यह हार्मोन हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करते हैं, जिससे हमारे शरीर की ऊर्जा, तापमान, और वज़न पर प्रभाव पड़ता है।
थायराइड कहां होता है?
थायराइड ग्रंथि गले में, ठीक कंठनली के नीचे स्थित होती है। यह ग्रंथि छोटी होने के बावजूद पूरे शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह हार्मोन स्राव कर शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करती है।
थायराइड के लक्षण(Thyroid symptoms in hindi)
Thyroid Ke Lakshan अलग-अलग हो सकते हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि थायराइड का स्तर बढ़ा हुआ है या घटा हुआ। इसके मुख्य दो प्रकार के लक्षण हैं: -
- हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) – थायराइड हार्मोन की कमी:
- थकान और कमजोरी
- वजन बढ़ना
- सूखी त्वचा और बालों का झड़ना
- कब्ज
- ठंड सहन न कर पाना
- मासिक धर्म में अनियमितता
- अवसाद और मनोदशा में बदलाव
- हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism) – थायराइड हार्मोन की अधिकता:
- तेजी से वजन घटना
- धड़कन का तेज होना
- अत्यधिक पसीना आना
- घबराहट और चिंता
- नींद न आना
- मासिक धर्म में बदलाव
- भूख में वृद्धि
थायराइड के लक्षण अगर लंबे समय तक नजरअंदाज किए जाएं, तो यह अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। इसलिए, लक्षण महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
थायराइड के कारण
थायराइड के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक शामिल होते हैं:
- आनुवंशिकता: अगर परिवार में किसी को थायराइड की समस्या है, तो इसकी संभावना बढ़ जाती है।
- ऑटोइम्यून विकार: हाशिमोटो थायराइडाइटिस और ग्रेव्स डिजीज जैसी बीमारियां ऑटोइम्यून सिस्टम की गड़बड़ी से होती हैं।
- आहार में आयोडीन की कमी या अधिकता: आयोडीन का असंतुलित सेवन भी थायराइड की समस्या उत्पन्न कर सकता है।
- हार्मोनल बदलाव: महिलाओं में प्रेग्नेंसी, मेनोपॉज के दौरान थायराइड असंतुलित हो सकता है।
- दवाओं का प्रभाव: कुछ दवाओं का प्रभाव थायराइड ग्रंथि पर भी पड़ता है और इससे हार्मोन असंतुलन हो सकता है।
थायराइड का इलाज
थायराइड का इलाज इसके प्रकार और स्तर पर निर्भर करता है। उपचार से पहले डॉक्टर द्वारा जाँच की जाती है, जिसमें टीएसएच (TSH), टी3 (T3) और टी4 (T4) स्तर की जाँच शामिल होती है।
- हाइपोथायरायडिज्म का इलाज:
- थायरॉक्सिन टैबलेट्स: यह टैबलेट्स डॉक्टर द्वारा निर्धारित मात्रा में दी जाती हैं जो शरीर में थायराइड हार्मोन के स्तर को संतुलित करने का काम करती हैं।
- आहार में बदलाव: आयोडीन युक्त भोजन और हरी सब्जियाँ, फल जैसे संतुलित आहार लेना फायदेमंद होता है।
- हाइपरथायरायडिज्म का इलाज:
- एंटी-थायरॉयड दवाएं: यह दवाएं हार्मोन के अत्यधिक स्राव को रोकने में मदद करती हैं।
- रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी: यह थेरेपी थायराइड ग्रंथि को धीरे-धीरे कम सक्रिय करती है।
- सर्जरी: गंभीर स्थिति में थायराइड ग्रंथि का हिस्सा हटाने के लिए सर्जरी का सहारा लिया जा सकता है।
थायराइड के उपचार के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
- नियमित रूप से डॉक्टर से चेक-अप कराएं और थायराइड हार्मोन के स्तर को जाँचते रहें।
- दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह के अनुसार करें।
- स्ट्रेस को नियंत्रित करने की कोशिश करें, क्योंकि तनाव थायराइड के स्तर को प्रभावित कर सकता है।
- योग और मेडिटेशन का सहारा लेकर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखें।
थायराइड पीड़ित मरीजों को क्या आहार लेना चाहिए?
- ज़्यादा से ज़्यादा फल और सब्ज़ियों का सेवन करें।
- अपने भोजन में आयोडीन शामिल करें।
- प्रोटीन, फाइबर और विटामिन युक्त साबुत अनाजों का आहार लें।
- अपने आहार में कम वसा वाला भोजन शामिल करें।
- विटामिन-डी और कैल्शियम युक्त भोजन का सेवन करें, जैसे - दूध।
थायराइड एक आम लेकिन महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है। थायराइड के लक्षण, थायराइड के कारण, और थायराइड का इलाज जानकर हम इस समस्या को सही समय पर पहचान सकते हैं और इसका उपचार कर सकते हैं। जीवनशैली में थोड़े से बदलाव और सही चिकित्सा के माध्यम से थायराइड को नियंत्रण में रखना संभव है। यदि आपको थायराइड के लक्षण महसूस होते हैं, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करें और आवश्यक जांच कराएं।




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