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कोलेस्ट्रॉल क्या है और कोलेस्ट्रॉल टेस्ट क्यों जरुरी है

कोलेस्ट्रॉल क्या है और कोलेस्ट्रॉल टेस्ट क्यों जरुरी है

By - Max Lab

Sep 20, 2022 | 24 min read

Table of Contents

    आधुनिक जीवन शैली में तनाव और दबाव के साथ, हार्ट की हेल्थ पर ध्यान देना पहले से कहीं अधिक जरुरी हो गया है। बॉडी में कोलेस्ट्रॉल लेवल उसी का एक आवश्यक हिस्सा है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल पर कंट्रोल रखना अच्छे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। ब्लड कोलेस्ट्रॉल का लेवल सामान्य से अधिक होने के कोई लक्षण तो नहीं होते हैं लेकिन यह स्ट्रोक एवं हार्ट संबंधी कई गंभीर बिमारियों को जन्म दे सकता है।

    कोलेस्ट्रॉल क्या है?

    कोलेस्ट्रॉल एक मोम जैसा पदार्थ होता है जो शरीर द्वारा हार्मोन का उत्पादन करने और आपके भोजन में वसा को पचाने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को करने के लिए होता है। चूंकि शरीर आपके लिए आवश्यक सभी कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन करता है, इसलिए आहार में कोलेस्ट्रॉल के सीमित सेवन की सलाह दी जाती है। ब्लड में ले जाने वाले प्रोटीन के आधार पर कोलेस्ट्रॉल को दो प्रकारों में बांटा जा सकता हैः-

    • लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL) या खराब कोलेस्ट्रॉल: शरीर में पाए जाने वाले अधिकांश कोलेस्ट्रॉल इसी प्रकार के होते हैं।
    • हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL) या अच्छा कोलेस्ट्रॉल: शरीर में अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को अवशोषित करता है और इसे बाहर निकालने के लिए लीवर में ले जाता है।

    शरीर को ठीक से काम करने के लिए कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता होती है। खराब कोलेस्ट्रॉल के हाई लेवल से ब्लड वाहिकाओं की दीवारों पर प्लाक जमा हो सकता है, ब्लड फ्लो ब्लॉकिंग या हृदय संबंधी रोग और स्ट्रोक का खतरा हो सकता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को मापने से ऐसी स्थितियों से बचा जा सकता है।

    कोलेस्ट्रॉल टेस्ट क्या है?

    शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल ब्लड टेस्ट से किया जाता है। इसके लिए दो तरह के टेस्ट होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल के लेवल की जांच करते हैं - एचडीएल टेस्ट और लिपिड प्रोफाइल टेस्ट

    • एचडीएल टेस्ट क्या है?

    यह टेस्ट विशेष रूप से HDL कोलेस्ट्रॉल की माप के लिए है। यदि उच्च परिणामों के साथ कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग वापस आती है तो इसे फोलोअप के लिए कहा जाता है। कार्डियोवैस्कुलर समस्याओं के लिए हाई रिस्क वाले लोगों के कोलेस्ट्रॉल के लेवल की माॅनिटरिंग के लिए नियमित HDL Test की भी सिफारिश की जा सकती है।

    • लिपिड प्रोफाइल क्या है?

    लिपिड प्रोफाइल एक विस्तृत कोलेस्ट्रॉल ब्लड टेस्ट है जो LDL लेवल की जांच करता है। "खराब" कोलेस्ट्रॉल; HDL, "अच्छा" कोलेस्ट्रॉल: ट्राइग्लिसराइड्स, एनर्जी के लिए शरीर द्वारा उपयोग की जाने वाली वसा और कुल कोलेस्ट्रॉल का एक प्रकार है, जिसकी गणना एचडीएल, एलडीएल और ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल के आधार पर की जाती है।

    अपने कोलेस्ट्रॉल के लेवल की जांच कैसे करनी चाहिए, उन्हें कौन सा टेस्ट कराना चाहिए और नियमित रूप से अपने कोलेस्ट्रॉल के लेवल की जांच कैसे करनी चाहिए, सहित अपने रिस्क फेक्टर को बेहतर ढंग से समझने के लिए व्यक्तिगत रूप में अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

     

    "यह भी पढ़े : कोलेस्ट्रॉल क्या है? - कारण, लक्षण, तथा बचाव "

     

    कोलेस्ट्रॉल माॅनिटरिंग का महत्व

    शरीर में अधिक कोलेस्ट्रॉल की उपस्थिति से ब्लड वैसील्स (रक्त धमनियां) की दीवारों पर वसायुक्त पदार्थ का निर्माण हो सकता है। इससे ब्लड वैसील्स सिकुड़ने लगती हैं। अगर इनकी जांच न कराई जाए तो ये सिकुड़ी हुई वैसील्स हार्ट से होने वाले ब्लड फ्लो को ब्लाॅक कर देती है, जिससे कई तरह सीरियस हैल्थ इश्यूज हो सकते हैं। कुछ मामलों में डॉक्टर कोलेस्ट्रॉल टेस्ट से पहले भूखे पेट रहने की सलाह दे सकते हैं।

    कोलेस्ट्रॉल के लेवल की माॅनिटरिंग आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भले ही हाई कोलेस्ट्रॉल के अपने लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन यह ब्लड क्लाॅट्स, हार्ट अटैक, स्ट्रोक एनजाइना, कोरोनरी जैसी हार्ट डिजीज के जोखिम को बढ़ाता है।

    रेगुलर कोलेस्ट्राॅल माॅनिटरिंग लोगों को अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल पर नजर रखने की अनुमति देती है। बढ़ते लेवल का शीघ्र पता लगाने से लोग समय पर अपनी लाइफ स्टाइल में बदलाव कर सकते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है और कई गंभीर स्थितियों से बचने में मदद कर सकता है।

    जिन लोगों को हार्ट डिजीज का हाई रिस्क है, उनको भी रेगुलर कोलेस्ट्रॉल टेस्ट कराने को कहा जाता है। इनके रिस्क फैक्टर्स में मोटापा, फैमेली हिस्ट्री, इनएक्टिव लाइफ स्टाइल, डायबिटीज, स्मोकिंग और अन-हैल्दी फूड आदि शामिल हैं।

    एलडीएल या ट्राइग्लिसराइड्स के हाई लेवल वाले लोगों को भी अपने उपचार के लिए रेगुलर कोलेस्ट्राॅल माॅनिटरिंग की जरुरत होती है।

    होम सैंपल पिकअप, घर पर कोलेस्ट्रॉल की जांच करने के विकल्प के साथ, बाॅडी में कोलेस्ट्रॉल लेवल की माॅनिटरिंग करना पहले से कहीं अधिक आसान हो गया है।

    कोलेस्ट्रॉल टेस्ट किसे करवाना चाहिए?

    स्वस्थ व्यक्तियों को 20 वर्ष की आयु के करीब अपने कोलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए और इसे हर 5 साल में दोहराना चाहिए। 40 की उम्र के बाद हर साल कोलेस्ट्रॉल टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है।

    यदि कोई व्यक्ति हार्ट संबंधी समस्याओं या हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल के हाई रिस्क पर है तो डॉक्टर एक मरीज को कोलेस्ट्रॉल टेस्ट अधिक बार कराने को कह सकता है।

    हाई कोलेस्ट्रॉल के रिस्क फैक्टर:

    • कोलेस्ट्रॉल या हार्ट डिजीज की फैमेली हिस्ट्री या पहले से मौजूद हृदय रोग
    • सुस्त लाइफ स्टाइल
    • मोटापा या अधिक वजन
    • अन हैल्दी डाइट
    • नियमित धूम्रपान या शराब का सेवन
    • डायबिटीज, पीसीओएस, अंडर-एक्टिव थायराइड, किड़नी की समस्या आदि।

    ब्लड कोलेस्ट्रॉल का सामान्य लेवल

    • कुल ब्लड कोलेस्ट्रॉल का सामान्य लेवल 200 mg/dL है। दूसरी ओर, 200-239 mg/dL को बाॅर्डर लाइन पर माना जाता है, जबकि 240 mg/dL या इससे अधिक को हाई लेवल माना जाता है।
    • डायबिटीज और हार्ट डिजीज वाले लोगों के लिए एलडीएल का लेवल 70 mg/dL से नीचे और हार्ट इश्यू वाले लोगों के लिए 100 mg/dL से नीचे होना चाहिए। स्वस्थ व्यक्तियों के लिए 100-129 mg/dL सामान्य है लेकिन हृदय रोग वाले लोगों के लिए उच्च है। 130-159 mg/dL का LDL लेवल उन लोगों के लिए बाॅर्डर लाइन है जो हृदय रोग से पीड़ित नहीं हैं। इससे अधिक हाई लेवल माना जाता है।
    • HDL का लेवल 60 mg/dL से ऊपर होना चाहिए, लेकिन महिलाओं में 50 mg/dL और पुरुषों में 40 mg/dL से कम हार्ट इश्यू के बढ़ते जोखिम का संकेत है।
    • ट्राइग्लिसराइड्स का सबसे हाई लेवल 150 mg/dL है। 200 mg/dL से ऊपर को हाई लेवल माना जाता है।

    कोलेस्ट्रॉल टेस्ट से पहले भूखे पेट रहना हमेशा आवश्यक नहीं होता है। यह आपकी हेल्थ कंडिशन पर निर्भर करता है।

    हाई कोलेस्ट्रॉल को रोकना

    अपनी उम्र के बावजूद, लोग स्वस्थ जीवन शैली सुनिश्चित करने और अपने कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बनाए रखने के लिए कई कदम उठा सकते हैं। इनमें  शामिल हैं:-

    • हैल्दी डाइट: ट्रांस फेट व अतिरिक्त शर्करा वाले भोजन से बचें या उसे सीमित करें और आहार में अधिक फाइबर वाले खाद्य पदार्थों को शामिल करें।
    • वजन पर कंट्रोल: किसी व्यक्ति के लिए स्वस्थ वजन का क्या मतलब है, इसकी गणना उनके बॉडी मास इंडेक्स के माध्यम से की जा सकती है। डॉक्टर के साथ इस पर चर्चा करना और उपयुक्त फिटनेस योजना को फोलो करना बेहतर रहेगा।
    • रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी: हैल्दी वेट बनाए रखने, कोलेस्ट्रॉल कम करने और ब्लड प्रेशर को मैनेज करने में फिजिकली एक्टिविटी मददगार साबित होती है।
    • धूम्रपान छोड़ें और शराब का सेवन सीमित करें।

    यदि किसी व्यक्ति में कोलेस्ट्रॉल का लेवल हाई रहता है तो वे इसे मैनेज करने के लिए निम्न कदम उठा सकते हैं:-

    1. दवा, यदि निर्धारित हो। समय पर लेना अत्यंत आवश्यक है।
    2. अपने आहार में बदलाव करके और रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी में वृद्धि करके एक हैल्दी लाइफ स्टाइल अपनाने से कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में मदद मिलती है।
    3. कोलेस्ट्रॉल के लेवल की रेगुलर माॅनिटरिंग यह जांचने में मदद कर सकती है कि ट्रिटमेंट प्लान काम कर रहा है अथवा नहीं।

    अपनी जीवनशैली में उचित बदलाव के माध्यम से कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कंट्रोल में रखा जा सकता है। इसे अच्छी तरह से मैनेज करने की जिम्मेदारी आप पर होती है।

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