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Max Lab
Sep 04, 2025
प्रकृति ने हमें असंख्य ऐसे औषधीय पेड़-पौधे दिए हैं जो न सिर्फ हमारे शरीर को स्वस्थ रखते हैं बल्कि कई गंभीर बीमारियों से भी बचाव करते हैं। इन्हीं में से एक है अर्जुन का पेड़ (Arjun ka ped kya hota hai)। आयुर्वेद में अर्जुन को हृदय रोगों के इलाज और ब्लड को शुद्ध करने के लिए बेहद उपयोगी माना गया है। इसकी छाल, जिसे हम Arjun ki chhal कहते हैं, प्राचीन काल से घरेलू नुस्खों और आयुर्वेदिक दवाओं में प्रयोग की जाती रही है। आधुनिक रिसर्च भी यह साबित करती है कि Arjun ki chhal ke fayde सिर्फ हृदय तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, मोटापा और कई अन्य रोगों में लाभकारी है।
अर्जुन की छाल के फायदे (Arjun chhal ke fayde) खासतौर पर उन लोगों के लिए अमृत समान हैं जिन्हें कोलेस्ट्रॉल या ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है। जब इसे पानी में उबालकर पिया जाता है तो यह ब्लड सर्कुलेशन को सुधारता है और दिल की नसों को मजबूत बनाता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, Arjun ki chhal peene ke fayde हड्डियों की मजबूती, स्किन हेल्थ और पाचन तंत्र को दुरुस्त करने में भी दिखाई देते हैं। यही कारण है कि आज के समय में, जब लोग जीवनशैली संबंधी बीमारियों से परेशान हैं, अर्जुन की छाल एक प्राकृतिक और सुरक्षित विकल्प बनकर सामने आई है।
1. हृदय को मजबूत बनाती है
2. कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक
3. ब्लड शुगर कंट्रोल करती है
4. हड्डियों और जोड़ों के लिए लाभकारी
5. पाचन तंत्र को दुरुस्त करती है
6. स्किन और बालों के लिए फायदेमंद
7. वजन कम करने में सहायक
8. ब्लड को शुद्ध करती है
सामग्री |
मात्रा |
उपयोग विधि |
अर्जुन की सूखी छाल |
5–6 ग्राम |
पानी में डालकर उबालें |
पानी |
1 गिलास |
आधा गिलास बचने तक उबालें |
सेवन |
सुबह खाली पेट |
गुनगुना होने पर पिएं |
अर्जुन की छाल के फायदे (Arjun ki chhal ke fayde) असंख्य हैं – यह दिल की बीमारियों से लेकर ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल तक को नियंत्रित करती है। अर्जुन की छाल का पानी पीने के फायदे हर उम्र के व्यक्ति के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि किसी भी आयुर्वेदिक औषधि की तरह इसका सेवन भी संतुलित मात्रा में और विशेषज्ञ की सलाह के साथ ही करना चाहिए।
अर्जुन की छाल दिल की बीमारियों, हाई/लो ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, हार्ट ब्लॉकेज, डायबिटीज़ और पाचन समस्याओं में फायदेमंद है।
यह शीतल (ठंडी) तासीर वाली होती है और शरीर में गर्मी व सूजन को कम करती है।
छाल को पानी या दूध में उबालकर काढ़ा बनाकर या पाउडर के रूप में लिया जा सकता है।
सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले लेने से असर बढ़ता है।
नियमित सेवन से 2–3 हफ्तों में शरीर में असर दिखने लगता है।
हाँ, यह धमनियों को मजबूत बनाकर और ब्लॉकेज कम करके दिल की सेहत में सुधार करता है।
रोजाना काढ़ा या पाउडर का सेवन करने से खराब कोलेस्ट्रॉल घटता है और हृदय स्वस्थ रहता है।
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