विकासशील देशों में होने वाले लगभग 90% दस्त (डायरिया) के मामले पानी से फैलने वाली बीमारियों के कारण होते हैं और ये करीब 25% अस्पताल में भर्ती होने के मामलों के लिए ज़िम्मेदार हैं। यह चौंकाने वाली बात है कि हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इस्तेमाल होने वाला पानी, अगर दूषित हो जाए, तो गंभीर स्वास्थ्य खतरा बन सकता है। इस लेख में जानिए कि दूषित पानी से होने वाले खतरे क्या हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।
पानी से फैलने वाली बीमारियाँ क्या हैं?
वॉटरबॉर्न डिज़ीज़ेस (Waterborne Diseases) का मतलब है ऐसी बीमारियाँ जो दूषित पानी के कारण फैलती हैं। विकासशील देशों में बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण दस्त है। WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार हर साल कम से कम 5 लाख लोगों की मौत पानी से फैलने वाली बीमारियों से होती है।
पानी से फैलने वाली बीमारियों के प्रकार
इन बीमारियों के कई प्रकार हैं, जिनके लक्षण और इलाज अलग-अलग हो सकते हैं। सबसे आम बीमारियाँ हैं:
- टाइफाइड (Typhoid Fever): दूषित खाना या पानी से फैलने वाला बैक्टीरियल इंफेक्शन। लक्षण – बुखार, सिरदर्द, पेट दर्द, दस्त। इलाज – ऐंटीबायोटिक्स।
- कॉलेरा (Cholera): दूषित पानी से फैलने वाला बैक्टीरियल इंफेक्शन। लक्षण – तेज़ दस्त, उल्टी, डिहाइड्रेशन। इलाज – रिहाइड्रेशन और ऐंटीबायोटिक्स।
- हेपेटाइटिस A (Hepatitis A): दूषित पानी/खाने से फैलने वाला वायरल इंफेक्शन। लक्षण – बुखार, थकान, मतली, उल्टी, पीलिया। इलाज – सहायक देखभाल और वैक्सीन।
- शिगेलोसिस (Shigellosis): दूषित पानी/खाने से फैलने वाला बैक्टीरियल इंफेक्शन। लक्षण – दस्त, पेट में ऐंठन, बुखार। इलाज – ऐंटीबायोटिक्स।
लक्षण
पानी से होने वाली बीमारियाँ बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी या अन्य जीवाणुओं के कारण होती हैं। कोई भी व्यक्ति इससे प्रभावित हो सकता है, लेकिन बच्चे, बुज़ुर्ग और कमज़ोर इम्यूनिटी वाले लोग अधिक जोखिम में होते हैं।
आम लक्षण:
- दस्त
- मतली और उल्टी
- बुखार और ठंड लगना
- सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द
कारण
- दूषित पानी: सीवेज, इंडस्ट्रियल वेस्ट, खेतों से बहाव, या प्राकृतिक स्रोत जैसे झील/नदी में गंदगी।
- संक्रमित पानी से संपर्क: दूषित झील/नदी में तैरने या उसे पीने/खाना पकाने में इस्तेमाल करने से।
- खराब स्वच्छता और हाइजीन: हाथ न धोना, गंदा खाना पकाना, खुले में शौच आदि।
- पुरानी या ख़राब वॉटर सप्लाई सिस्टम: जंग लगे पाइप, पानी स्टोर करने के असुरक्षित तरीके, पानी में क्लोरीन/डिसइंफेक्टेंट की कमी।
बचाव के उपाय
- हमेशा साफ़ पानी पिएँ – उबला हुआ, फ़िल्टर किया हुआ या बोतलबंद।
- दूषित झील, तालाब या नहर का पानी न पिएँ और न उसमें तैरें।
- फलों और सब्ज़ियों को अच्छे से धोएँ।
- खाने से पहले और टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद हाथ धोएँ।
- घर की पानी की टंकी और पाइपलाइन की नियमित सफ़ाई और टेस्टिंग कराएँ।
- टीकाकरण (वैक्सीन) कराएँ – जैसे टाइफाइड और कॉलेरा।
अगर आपको संक्रमण का शक हो तो क्या करें?
- तुरंत डॉक्टर से मिलें।
- खूब पानी और ओआरएस (ORS) पिएँ ताकि डिहाइड्रेशन न हो।
- आराम करें और ताक़त बनाए रखें।
- दूसरों को संक्रमण से बचाने के लिए हाथ धोएँ और साफ-सफाई रखें।
तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें अगर:
- पेट में तेज़ दर्द हो
- 103°F (39.4°C) से ऊपर बुखार हो
- खून वाला दस्त हो
- लगातार उल्टियाँ हों और पानी न रुक रहा हो
- डिहाइड्रेशन के लक्षण हों (बहुत प्यास, मुँह सूखना, कम पेशाब आना, चक्कर आना)
लंबी अवधि की सावधानियाँ
कुछ पानी से फैलने वाले इंफेक्शन लंबे समय तक असर डाल सकते हैं। इसलिए –
- अगर लक्षण बार-बार हों तो डॉक्टर से फ़ॉलो-अप ज़रूर करें।
- यात्रा के दौरान हमेशा ओआरएस साथ रखें।
- स्थानीय हेल्थ एडवाइजरी और पानी की क्वालिटी रिपोर्ट्स पर ध्यान दें।
निष्कर्ष
पानी से फैलने वाली बीमारियाँ विकासशील देशों में एक गंभीर समस्या हैं। हर साल लाखों लोग इसकी वजह से जान गंवाते हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि साफ़ पानी, बेहतर स्वच्छता और सही जागरूकता से इन्हें रोका जा सकता है।
साफ़ पानी और हाइजीन की आदतें अपनाकर न सिर्फ़ आप खुद को बल्कि अपने परिवार और समाज को भी सुरक्षित रख सकते हैं।




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