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Max Lab
May 14, 2025
प्रेग्नेंसी एक खूबसूरत सफर होता है, लेकिन इसके साथ कुछ शारीरिक परेशानियां भी आ सकती हैं। जैसे-जैसे शरीर एक नए जीवन के लिए खुद को ढालता है, कब्ज और पेट फूला हुआ महसूस होना आम समस्या बन सकती है। इन परेशानियों से राहत के लिए कई उपाय हैं, जिनमें से एक है – एनीमा।
लेकिन सवाल उठता है – क्या प्रेग्नेंसी में एनीमा लेना सुरक्षित है? यह कैसे किया जाता है? और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है? आइए, इस ब्लॉग में जानें एनीमा से जुड़ी हर ज़रूरी जानकारी।
एनीमा एक मेडिकल प्रक्रिया है जिसमें किसी लिक्विड (जैसे साधारण पानी, नमक वाला पानी या दवा) को मलाशय (रेक्टम) के ज़रिये शरीर में डाला जाता है। इसका मकसद होता है – कब्ज से राहत देना या किसी मेडिकल प्रक्रिया से पहले पेट साफ़ करना।
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में ऐसे हार्मोन बनते हैं जो आंतों की मांसपेशियों को धीमा कर देते हैं। इससे कब्ज होना आम बात है, जो दर्द और बेचैनी भी पैदा कर सकता है।
एनीमा कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है। यह मल को नरम बनाकर उसे बाहर निकालने में सहूलियत देता है।
इसके अलावा, कुछ मामलों में डॉक्टर लेबर से पहले एनीमा लेने की सलाह दे सकते हैं ताकि डिलीवरी के दौरान मल की वजह से संक्रमण का खतरा न रहे।
अगर किसी महिला की सर्जरी (जैसे C-section या लोअर अब्डोमेन में कोई और प्रक्रिया) होनी है, तब भी डॉक्टर एनीमा की सलाह दे सकते हैं ताकि पेट फूलने की स्थिति न बने।
इस प्रक्रिया में एक छोटी सी प्लास्टिक नोजल को मलाशय में डालकर उसमें से नमक वाला पानी या दवा डाली जाती है। इससे आंतों की सफाई होती है और मल आसानी से बाहर आ जाता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान एनीमा कराने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें। आपकी मेडिकल हिस्ट्री को देखकर ही डॉक्टर यह तय करेंगे कि एनीमा लेना सही रहेगा या नहीं।
इस प्रक्रिया के दौरान महिला को बाईं करवट लेटने की सलाह दी जाती है, जिससे लिक्विड आसानी से अंदर जा सके और असहजता कम हो।
कुछ मामलों में डॉक्टर ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट भी मॉनिटर करते हैं ताकि सबकुछ सुरक्षित तरीके से हो।
हालांकि एनीमा कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है, लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं:
प्रेग्नेंसी के दौरान एनीमा एक जरूरी और उपयोगी प्रक्रिया हो सकती है, बशर्ते कि इसे डॉक्टर की सलाह और देखरेख में किया जाए। यह कब्ज जैसी समस्या में राहत दिला सकता है और डिलीवरी या सर्जरी से पहले शरीर को तैयार करने में मदद कर सकता है।
हालांकि इसके कुछ जोखिम होते हैं, लेकिन सही तरीके से किया जाए तो इनसे बचा जा सकता है।
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