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Max Lab
Sep 08, 2025
गर्भावस्था किसी भी महिला के लिए बेहद खास और उत्साह से भरा समय होता है, लेकिन कई बार यह थोड़ा भारी और उलझनभरा भी लग सकता है। बहुत सारी चीज़ों के बारे में सोचना और योजना बनाना होता है। ऐसे में सबसे पहला सवाल यही आता है कि प्रेगनेंसी के पहले महीने में कौन-कौन से लक्षण महसूस हो सकते हैं। आइए जानते हैं
ज्यादातर महिलाओं को प्रेगनेंसी के पहले महीने में कई तरह के बदलाव और लक्षण दिखते हैं, लेकिन कुछ महिलाओं को कोई खास फर्क महसूस नहीं होता। आमतौर पर देखे जाने वाले लक्षण इस प्रकार हैं:
अगर आप प्रेगनेंसी प्लान कर रही हैं तो पीरियड मिस होना इसका सबसे पहला संकेत हो सकता है। इसके साथ थकान, स्तनों में भारीपन या दर्द, जी मिचलाना और बार-बार पेशाब आने जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। इस स्थिति में घर पर प्रेगनेंसी टेस्ट या डॉक्टर से परामर्श लेना सही रहता है।
पहले महीने में अचानक मूड बदलना आम बात है। कभी खुशी तो कभी चिड़चिड़ापन महसूस होना हार्मोनल बदलाव के कारण होता है। अगर उदासी या तनाव ज्यादा हो तो डॉक्टर या मिडवाइफ़ से बात करें।
गर्भाशय के बढ़ने से पेट और आंतों पर दबाव पड़ता है जिससे पेट फूलने, गैस और डकार जैसी दिक़्क़तें हो सकती हैं। छोटे-छोटे मील्स खाएं, ज्यादा पानी पिएं और तैलीय या मीठे भोजन से परहेज़ करें।
गर्भाशय के फैलने की वजह से शुरुआती हफ़्तों में हल्के क्रैम्प्स होना सामान्य है। आराम के लिए गुनगुना पानी से नहाना, हल्का स्ट्रेचिंग करना और ढीले कपड़े पहनना मददगार हो सकता है।
कई महिलाओं को शुरुआती दिनों में हल्का ब्लीडिंग (स्पॉटिंग) हो सकता है। यह आमतौर पर अंडाणु के गर्भाशय में स्थापित होने (Implantation) की वजह से होता है। अगर स्पॉटिंग ज्यादा हो तो डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
पहले महीने में ब्लड फ्लो बढ़ने और किडनी पर दबाव आने की वजह से बार-बार पेशाब लगना सामान्य है। रात में नींद टूटी न रहे इसके लिए सोने से कुछ घंटे पहले पानी कम पिएं।
प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों में स्तनों का भारी या संवेदनशील होना शामिल है। इसका कारण शरीर में दूध बनाने की तैयारी और ब्लड फ्लो बढ़ना होता है। सपोर्टिव ब्रा पहनने से आराम मिल सकता है।
हार्मोनल बदलाव, ब्लड प्रेशर कम होना और ब्लड वॉल्यूम बढ़ना थकान का कारण बनते हैं। पर्याप्त नींद, हेल्दी डाइट और हल्की एक्सरसाइज थकान को कम करने में मदद करते हैं।
सुबह के समय जी मिचलाना या उल्टी आना बहुत आम है। यह हार्मोनल बदलाव, खाने की गंध या तनाव की वजह से हो सकता है। छोटे-छोटे मील्स खाएं, अदरक की चाय पिएं और ट्रिगर फूड से बचें।
लगभग 20–40% महिलाओं को प्रेगनेंसी में कब्ज़ की समस्या होती है। इसका कारण हार्मोनल बदलाव और फाइबर की कमी हो सकती है। पानी ज्यादा पिएं, फाइबर युक्त आहार लें और हल्की वॉक करें।
कुछ महिलाएं अपनी पसंदीदा चीज़ें भी अचानक खाने से कतराने लगती हैं, वहीं कुछ को अलग-अलग फ्लेवर या फूड की क्रेविंग होती है। यह सब हार्मोनल बदलाव की वजह से होता है। कोशिश करें कि क्रेविंग्स को हेल्दी विकल्पों से पूरा करें।
पहले महीने में ही शरीर कई संकेत देता है—
ये सभी सामान्य बदलाव हैं जो धीरे-धीरे आगे भी जारी रहेंगे।
ध्यान रहे कि यह सिर्फ अनुमान होता है। ज़्यादातर बच्चे अपनी ड्यू डेट से पहले या बाद में पैदा होते हैं।
प्रेगनेंसी का पहला महीना रोमांचक होने के साथ-साथ थोड़ा चुनौतीपूर्ण भी होता है। इस समय शरीर में कई बदलाव आते हैं जो बिल्कुल सामान्य हैं। अगर किसी लक्षण को लेकर ज्यादा असुविधा हो तो डॉक्टर से परामर्श लेना सबसे अच्छा कदम है।
पीरियड मिस होना, हल्की थकान, मूड स्विंग्स, बार-बार पेशाब आना, और हल्की मितली 1 महीने की प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। कन्फर्म करने के लिए प्रेगनेंसी टेस्ट ज़रूरी है।
पहले महीने में बच्चा बहुत छोटा होता है, लगभग तिल के दाने या ¼ इंच जितना।
हल्का स्पॉटिंग या ब्लीडिंग 1-2 दिन तक हो सकती है, जिसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहते हैं। लेकिन अगर ब्लीडिंग ज्यादा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
धूम्रपान, शराब, ज्यादा कैफीन से बचें। पौष्टिक आहार लें, तनाव कम रखें और फॉलिक एसिड सप्लीमेंट्स लेना शुरू करें।
पपीता (खासकर कच्चा) और अनानास का सेवन शुरुआती प्रेगनेंसी में नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये गर्भपात का खतरा बढ़ा सकते हैं।
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